Thursday, June 5, 2014

05 June 2014, Thursday

मैं याद आऊंगा हर लम्हा हर पल तुम्हें
जलते हुए बल्ब की रौशनी में
तुम्हारे आस पास लगे पर्दों की सिलवटों में
जब तुम खिरकियों से बाहर देखोगी
तेज़ी से गुज़रते स्टेशनों में
इस जून की धूप में
तपती खेत खलियानों में
ट्रेन की चलती रफ्तारों में
रात को आकाश में
चमकते सितारो में
सुबह के हलके उजालों में
चाय की सोंधी महकों में
फिर तेरे कॉलोनी की गलियों में
घर के दीवारों के रंगों में
खिरकियों के धुंधले शीशों में
मैं याद आऊंगा हर लम्हा हर पल तुम्हें ।
#05june2014

Wednesday, June 4, 2014

04 June 2014, wednesday

रोने दे आज हमको
दो आँखें सुजाने दे :(