मैं याद आऊंगा हर लम्हा हर पल तुम्हें
जलते हुए बल्ब की रौशनी में
तुम्हारे आस पास लगे पर्दों की सिलवटों में
जब तुम खिरकियों से बाहर देखोगी
तेज़ी से गुज़रते स्टेशनों में
इस जून की धूप में
तपती खेत खलियानों में
ट्रेन की चलती रफ्तारों में
रात को आकाश में
चमकते सितारो में
सुबह के हलके उजालों में
चाय की सोंधी महकों में
फिर तेरे कॉलोनी की गलियों में
घर के दीवारों के रंगों में
खिरकियों के धुंधले शीशों में
मैं याद आऊंगा हर लम्हा हर पल तुम्हें ।
#05june2014
जलते हुए बल्ब की रौशनी में
तुम्हारे आस पास लगे पर्दों की सिलवटों में
जब तुम खिरकियों से बाहर देखोगी
तेज़ी से गुज़रते स्टेशनों में
इस जून की धूप में
तपती खेत खलियानों में
ट्रेन की चलती रफ्तारों में
रात को आकाश में
चमकते सितारो में
सुबह के हलके उजालों में
चाय की सोंधी महकों में
फिर तेरे कॉलोनी की गलियों में
घर के दीवारों के रंगों में
खिरकियों के धुंधले शीशों में
मैं याद आऊंगा हर लम्हा हर पल तुम्हें ।
#05june2014