जब आपको कुछ भी नहीं पता होता है और आप दुनिया और समाज के #सच से परे होते हैं तो आपके अंदर एक अंधा और पागलपन जूनून होता है कुछ करने का और इस दुनिया की #मोहमाया में आपका दिल लगता है।
जब आप बहुत ज़्यादा ज्ञानी हो जाते है, आप #बुद्धिजीवी हो जाते हैं और शुन्य के करीब होते हैं तब आपके अंदर कुछ भी नहीं होता, कोई जूनून कोई पागलपन नहीं होता, किसी सम्मान का मोह नहीं होता, किसी अपमान का भय नहीं होता, इस दुनिया के लिए आपके मन में कोई चाहत नहीं होती .... इस समय आप अपनी #अंतरात्मा के तीसरे नयन से सब कुछ देख सकते हैं और आपके अंदर सिर्फ और सिर्फ #प्रेम बसता है और कुछ भी नहीं।
#शुन्य